SOCH VICHAR: राजद्रोही, राष्ट्रद्रोही,शंकराचार्य के खिलाफ जनहित...: राजद्रोही, राष्ट्रद्रोही,शंकराचार्य के खिलाफ जनहित याचिका दायर होनी चाहिए इसने भारत संविधान में वर्णित मौलिक अधिकार धर्मनिश्पेक्षता को भी च...
SOCH VICHAR
Thursday, June 26, 2014
राजद्रोही, राष्ट्रद्रोही,शंकराचार्य के खिलाफ जनहित याचिका दायर होनी चाहिए इसने भारत संविधान में वर्णित मौलिक अधिकार धर्मनिश्पेक्षता को भी चोट पँहुचाई है
राजद्रोही, राष्ट्रद्रोही,शंकराचार्य के खिलाफ जनहित याचिका दायर होनी चाहिए इसने भारत संविधान में वर्णित मौलिक अधिकार धर्मनिश्पेक्षता को भी चोट पँहुचाई है अत: मानवाधिकार आयोग में भी इसके खिलाफ मामला दर्ज होना चाहिए
राष्ट्र गान की पंक्तियाँ ...
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई ,
सभी भारती भाई भाई
तो अगर भाई भाई एक ही नाम से अपना धर्म निर्वहन करना चाहें तो इसमें धर्म को क्या आप्पत्ति है परन्तु शंकराचार्य को है
वो नहीं चाहता कि शिर्डी में कोई हिन्दू भाई जा कर अगर अपने धर्म का निर्वहन करते हुए राम शब्द का प्रयोग करे क्योंकि शायद शिडी वाले बाबा मुसलमानों के पीर या पैगम्बर थे इस इस से हिन्दू मुस्लिम भाई भाई को अलग करने के षड्यंत्र की बू आती है
राम शब्द का प्रयोग तो गुरु ग्रन्थ साहिब में भी अनेकों बार हुआ है इस प्रकार तो फिर यदि आपत्ति की गई तो गुरुग्रंथ साहिब को भी शायद नए सिरे से लिखना पड़ेगा क्योंकि यदि शिडी बाबा अवतार नहीं थे तो गुरुनानक भी अवतार नहीं थे और अवतार या भगवान को मानने वाले ही राम शब्द का प्रयोग, जाप व् ड्रम के रूप में प्रयोग कर सकते हैं
कहीं यह देश के विभिन्न समुदायों, समाजों, सम्प्रदायों में फूट डालने की साजिश तो नहीं
आज शिर्डी को मानने वालों को हिंदुत्व से अलग करने का प्रयास हो रहा है कल जैन, आर्य , ईसाई, परनामी, बुद्ध, राधास्वामी,सच्चा सौदा को भी हिनू ना मानते हुए और इन समुदायों के गुरुओं को भगवान न मानते हुए इन को भी कहा जाएगा कि वो राम की पूजा ना करें, राम शब्द का प्रोग ना करें जबकि इन ऊपरवर्णित सभी समुदायों के धर्म ग्रंथों में अनेकों बार राम शब्द का प्रयोग हुआ है.
क्या आज तक कोई भी किसी भाषा पर अपना अधिकार सिद्ध कर सका है या कर सकता है .
क्या कोई भी भाषा किसी की बपौती हो सकती है
क्या किसी भी धर्म,, राष्ट्र,समुदाय ने जब से सृष्टी बनी है आज तक किसी को किसी भाषा का मालिक होने का अधिकार दिया है ?
क्या पूरे विश्व में कहीं भी किसी भी भाषा को सीखने पर आज तक कोई पाबंदी लगी है ?
यदि नहीं तो इसका सीधा साधा सा अर्थ है कोई भी मानव चाहे किसी भी देश का नागरिक हो, किसी भी धर्म का अनुयायी हो या मानने वाला हो किसी भी भाषा को सीख सकता है, बोल सकता है प्रयोग कर सकता है. और जब भाषा के मामले में यह मौलिक अधिकार पूरी दुनिया के मानवों के लिए सिद्ध हो गया ओ इसके सीधा साधा सा अर्थ यह भी हो जाता है कि भाषा के शब्द भी कोई भी मानव किसी भी रूप में प्रयोग करने को स्वतंत्र है, क्योंकि भाषा को अभिव्यक्त करने का इस के अतरिक्त कोई भी उपाय नहीं..तो शंकराचार्य किसी विशेष शब्द के प्रयोग जैसे "राम" पर पाबंदी लगाने वाला कौन होता है ? क्या किसी संस्था, सरकार, राष्ट्र या समुदाय ने कोई ऐसा अधिकार किसी भी युग या काल में उसे दिया था ? यदि नहीं तो क्या ये पूरे विश्व के मानवाधिकारों का हनन नहीं.
इस अपराध के लिए क्या इस धूर्त शंकराचार्य पर Human Rights विरोध में संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) में मुक़्क़दमा नहीं चलाया जाना चाहिए ?
राष्ट्र गान की पंक्तियाँ ...
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई ,
सभी भारती भाई भाई
तो अगर भाई भाई एक ही नाम से अपना धर्म निर्वहन करना चाहें तो इसमें धर्म को क्या आप्पत्ति है परन्तु शंकराचार्य को है
वो नहीं चाहता कि शिर्डी में कोई हिन्दू भाई जा कर अगर अपने धर्म का निर्वहन करते हुए राम शब्द का प्रयोग करे क्योंकि शायद शिडी वाले बाबा मुसलमानों के पीर या पैगम्बर थे इस इस से हिन्दू मुस्लिम भाई भाई को अलग करने के षड्यंत्र की बू आती है
राम शब्द का प्रयोग तो गुरु ग्रन्थ साहिब में भी अनेकों बार हुआ है इस प्रकार तो फिर यदि आपत्ति की गई तो गुरुग्रंथ साहिब को भी शायद नए सिरे से लिखना पड़ेगा क्योंकि यदि शिडी बाबा अवतार नहीं थे तो गुरुनानक भी अवतार नहीं थे और अवतार या भगवान को मानने वाले ही राम शब्द का प्रयोग, जाप व् ड्रम के रूप में प्रयोग कर सकते हैं
कहीं यह देश के विभिन्न समुदायों, समाजों, सम्प्रदायों में फूट डालने की साजिश तो नहीं
आज शिर्डी को मानने वालों को हिंदुत्व से अलग करने का प्रयास हो रहा है कल जैन, आर्य , ईसाई, परनामी, बुद्ध, राधास्वामी,सच्चा सौदा को भी हिनू ना मानते हुए और इन समुदायों के गुरुओं को भगवान न मानते हुए इन को भी कहा जाएगा कि वो राम की पूजा ना करें, राम शब्द का प्रोग ना करें जबकि इन ऊपरवर्णित सभी समुदायों के धर्म ग्रंथों में अनेकों बार राम शब्द का प्रयोग हुआ है.
क्या आज तक कोई भी किसी भाषा पर अपना अधिकार सिद्ध कर सका है या कर सकता है .
क्या कोई भी भाषा किसी की बपौती हो सकती है
क्या किसी भी धर्म,, राष्ट्र,समुदाय ने जब से सृष्टी बनी है आज तक किसी को किसी भाषा का मालिक होने का अधिकार दिया है ?
क्या पूरे विश्व में कहीं भी किसी भी भाषा को सीखने पर आज तक कोई पाबंदी लगी है ?
यदि नहीं तो इसका सीधा साधा सा अर्थ है कोई भी मानव चाहे किसी भी देश का नागरिक हो, किसी भी धर्म का अनुयायी हो या मानने वाला हो किसी भी भाषा को सीख सकता है, बोल सकता है प्रयोग कर सकता है. और जब भाषा के मामले में यह मौलिक अधिकार पूरी दुनिया के मानवों के लिए सिद्ध हो गया ओ इसके सीधा साधा सा अर्थ यह भी हो जाता है कि भाषा के शब्द भी कोई भी मानव किसी भी रूप में प्रयोग करने को स्वतंत्र है, क्योंकि भाषा को अभिव्यक्त करने का इस के अतरिक्त कोई भी उपाय नहीं..तो शंकराचार्य किसी विशेष शब्द के प्रयोग जैसे "राम" पर पाबंदी लगाने वाला कौन होता है ? क्या किसी संस्था, सरकार, राष्ट्र या समुदाय ने कोई ऐसा अधिकार किसी भी युग या काल में उसे दिया था ? यदि नहीं तो क्या ये पूरे विश्व के मानवाधिकारों का हनन नहीं.
इस अपराध के लिए क्या इस धूर्त शंकराचार्य पर Human Rights विरोध में संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) में मुक़्क़दमा नहीं चलाया जाना चाहिए ?
Saturday, June 21, 2014
I'm in the 7%................Its worth reading again & again, as & when you can.
"7%"
Written by a 90 year old
Written by a 90 year old
This is something we should all read at least once a week!!!!! Make sure you read to the end!!!!!!
Written by Regina Brett, 90 years old, of the Plain Dealer, Cleveland , Ohio .
"To celebrate growing older, I once wrote the 45 lessons life taught me. It is the most requested column I've ever written.
My odometer rolled over to 90 in August, so here is the column once more:
1. Life isn't fair, but it's still good.
2. When in doubt, just take the next small step.
3. Life is too short – enjoy it.
4. Your job won't take care of you when you are sick. Your friends and family will.
5. Pay off your credit cards every month.
6. You don't have to win every argument. Stay true to yourself.
7. Cry with someone. It's more healing than crying alone.
8. It's OK to get angry with God. He can take it.
9. Save for retirement starting with your first paycheck.
10. When it comes to chocolate, resistance is futile.
11. Make peace with your past so it won't screw up the present.
12. It's OK to let your children see you cry.
13. Don't compare your life to others. You have no idea what their journey is all about.
14. If a relationship has to be a secret, you shouldn't be in it.
15. Everything can change in the blink of an eye, but don't worry, God never blinks.
16.. Take a deep breath. It calms the mind.
17. Get rid of anything that isn't useful. Clutter weighs you down in many ways.
18. Whatever doesn't kill you really does make you stronger.
19.. It's never too late to be happy. But it’s all up to you and no one else.
20. When it comes to going after what you love in life, don't take no for an answer.
21. Burn the candles, use the nice sheets, wear the fancy clothes. Don't save it for a special occasion. Today is special.
22. Over prepare, then go with the flow.
23. Be eccentric now. Don't wait for old age to wear purple.
24. The most important sex organ is the brain.
25. No one is in charge of your happiness but you.
26. Frame every so-called disaster with these words 'In five years, will this matter?'
27. Always choose life.
28. Forgive
29. What other people think of you is none of your business.
30. Time heals almost everything. Give time time.
31. However good or bad a situation is, it will change.
32. Don't take yourself so seriously. No one else does.
33. Believe in miracles.
34. God loves you because of who God is, not because of anything you did or didn't do.
35. Don't audit life. Show up and make the most of it now.
36. Growing old beats the alternative of dying young.
37. Your children get only one childhood.
38. All that truly matters in the end is that you loved.
39. Get outside every day. Miracles are waiting everywhere.
40. If we all threw our problems in a pile and saw everyone else's, we'd grab ours back.
41. Envy is a waste of time. Accept what you already have, not what you need
42. The best is yet to come...
43. No matter how you feel, get up, dress up and show up.
44. Yield.
45. Life isn't tied with a bow, but it's still a gift."
Its estimated 93% won't forward this. If you are one of the 7% who will, forward this with the title '7%'.
I'm in the 7%. Friends are the family that you choose.
Its worth reading again & again, as & when you can.
Friday, June 20, 2014
हिंदी
मेरे परम प्रिय एवं
अभिन्न मित्र ने आज कुछ ऐसा पोस्ट कर दिया फेस बुक पर कि उस पर टिप्पणी करना मैं अत्यावश्यक
समझता हूँ
आप सब को पूरा मामला
समझ आ जाए इस लिए पहले मैं मित्र सुधीर बट्टा जी द्वारा पोस्ट की गई सामग्री आपके सम्मुख
प्रस्तुत कर रहा हूँ और फिर उस के बाद अपनी टिपण्णी, इस विनम्र आग्रह के साथ कि फेस
बुक का बुद्धि जीवी वर्ग इस बारे में अपनी राय अधिक से अधिक संख्या में अवश्य दे कर
आगे के लिए मर्ग प्रशस्त करेगा
____________________________________________________
श्री सुधीर बट्टा जी
लिखते हैं
====================
"I too proud speaker of Hindi"........
Many are not aware that we spent Rs. 50 million in 1977 to enable Mr. Vajpayee,the then Foreign Minister ,to speak in Hindi,for a few minutes,at the UN....The country pays for an unnecessary show nationalism and ego.....At home this is "OK'....We cant progress globally by speaking in a language that has the same word "Yesterday" and "Tomorrow".
"I too proud speaker of Hindi"........
Many are not aware that we spent Rs. 50 million in 1977 to enable Mr. Vajpayee,the then Foreign Minister ,to speak in Hindi,for a few minutes,at the UN....The country pays for an unnecessary show nationalism and ego.....At home this is "OK'....We cant progress globally by speaking in a language that has the same word "Yesterday" and "Tomorrow".
______________________________________________________________
मेरी विनयपूर्वक टिप्पणी
======================
मित्र
मैं आपकी बात
से बिलकुल भी
सहमत नहीं हूँ
सबसे पहले
तो आपने एक
उदाहरण दिया "कल" का yesterday and tomorrow
के संदर्भ में
इस प्रकार के नाम
मात्र गिनती के
उदाहरण हो सकते
हैं हिंदी के
लिए
परन्तु
"UNCLE" और
"AUNTI" के बारे
में आप क्या
कहेंगे की चाचा,
ताया, फूफा, मौसा,
मामा, मामी,बुआ,मौसी,ताई
इत्यादि के लिए
क्या "आंगल" भाषा में
कोई उपयुक्त शब्द
हैं ?
अरे मेरे भाई
हिंदी जो की
संस्कृत से जन्मी
है उसका शब्दकोश
तो इतना विस्तृत
है की गणना
करना भी शायद
मुश्किल होगा जब
से विश्व में
संस्कृत भाषा का
प्रदुर्भाव हुआ है
करोड़ों ये अरबों
नहीं अब तक
हज़ारो खरब शब्द
देवनागरी(संस्कृत) के प्रयोग
हो चुके हैं
जब कि आंगल
भाषा में ये
आंकड़ा मात्र कुछ
करोड़ पर अटका
हुआ है
अब तो शायद
आपको विदित होगा
कि वैज्ञानिकों ने
भी हिंदी को
सबसे समृद्ध भाषा
मान लिया है
और यह सर्वविदित
( मैं साक्षर और
शिक्षित समुदाय की बात
कर रहा हूँ)
है कि कम्प्यूटर
ने मात्र संस्कृत
(देवनागरी) को ही
विश्व की किसी
भी भाषा के
अनुवाद के लिए
सक्षम माना है
और एक तथ्य
आप को और
बता दूँ विश्व
की लगभग सभी
भाषाएँ संस्कृत से ही
उतपन्न हुई हैं
और आपकी आंगल
भाषा भी इस
तथ्य से अछूती
नहीं और आप
को यह तो
ज्ञात ही होगा
कि संस्कृत एक
भाषा है जिसके
लिपि देवनागरी है
और हिंदी कि
लिपि भी देवनागरी
ही है
अत: मात्र एक आध
उदाहरण दे कर
हिंदी जो कि
हमारी मातृ भाषा
भी है उसका
अपमान मत करिये
ये मेरा विनम्र
आग्रह है
अब आईये विदेशों
में अत्यधिक खर्च
कर के हिंदी
में अपनी बात
कहने पर
आज हमारा देश किस-किस मुद्दे
पर खर्च नहीं
कर रहा
विशिष्ट लोगों की अकारण
विदेश यात्रा
सुरक्षा
पर्यावरण
.
.
.
खेलें
.
.
वैज्ञानिक खोजें
(जबकि आज केवल
Research अर्थात Re-search
हो रही है
, Search अर्थात
खोज तो हमारे
ऋषी मुनी हज़ारों
लाखों साल पहले
कर चुके हैं
जो सब वेदों
में वर्णित है)
.
.
चिकित्सा
(इस पर भी
हमारे चरक, वाग्भट्ट,
और अन्य अनगिनित
आयुर्वेदाचार्यों और ऋषियों
ने बहुत कुछ
शोध कर के
वेदों में लिख
रखा है और
आश्चर्य की बात
है कि आज
की चिकित्सा प्रणाली चाहे वो
शल्य चिकित्सा हो
अथवा औषध विज्ञान
अथवा किसी भी
और क्षेत्र का
संज्ञान, उस लाखों
वर्ष पूर्व लिखे
किसी भी सूत्र
को ना तो
काट पाया, ना गलत
सिद्ध कर पाया,
और ना ही
कुछ नया खोज
पाया)
.
.
ऐसे ही और
भी ना जाने
कितने क्षेत्र हैं
जिन पर हमारी
सरकार अनाप शनाप
खर्च कर रही
है और बरसों
से करती आ
रही है यही
कारण है की
हम दिन पर
दिन पिछड़ रहे
हैं
अत: अंत में
निवेदन है कि
हिंदी के प्रयोग
से देश का
कुछ भी अनिष्ट
नहीं होने वाला
हां इस से
विश्व में हमारी
प्रतिष्ठा अवश्य बढ़ रही
है और बढ़ेगी
अत: इस बात
का विरोध छोड़
कर किसी सार्थक
मुद्दे (विषय)पर
चर्चा करें तो
अधिक समीचीन होगा
Tuesday, June 17, 2014
एक जापानी अपने मकान
की मरम्मत केलिए
उसकी दीवार
को खोल रहा था। ज्यादातर
जापानी घरों में
लकड़ी की दीवारो के
बीच जगह होती है। जब वह
लकड़ी की इस
दीवार को उधेड़ रहा तो उसने
देखा कि वहां दीवार में एक
छिपकली फंसी हुई थी।
छिपकली के एक पैरमें कील
ठुकी हुईथी। उसने यह देखा और उसे
छिपकली पर रहम आया। उसने
इस मामले में उत्सुकता दिखाई
और गौर से उस छिपकली के पैर में
ठुकी कील को देखा। अरे यह
क्या! यह तो वही कील है जो 1
साल पहले मकान बनाते वक्त ठोकी गई
थी। यह क्या !!!!
क्या यह छिपकली पिछले 1
साल से इसी हालत से दो चार
है? दीवार के अंधेरे हिस्से में
बिना हिले-डुले पिछले 1
साल से!! यह नामुमकिन है। मेरा दिमाग
इसको गवारा नहीं कर रहा। उसे
हैरत हुई।यह छिपकली पिछले 1
साल से आखिर जिंदा कैसे है!!!
बिना एक कदम हिले-डुले
जबकि इसके पैर में कील ठुकी है!
उसने अपना काम रोक दिया और
उस छिपकली को गौर से देखने
लगा। आखिर यह अब तक कैसे रह
पाई और क्या और किस तरह
की खुराक इसे अब तक मिल पाई।
इस बीच एक
दूसरी छिपकली ना जाने
कहां से वहां आई जिसके मुंह में
खुराक थी।
अरे!!!!! यह देखकर वह अंदर तक हिल
गया। यह दूसरी छिपकली पिछले
1 साल से इस फंसी हुई
छिपकली को खिलाती रही।
जरा गौर कीजिए वह
दूसरी छिपकली बिना थके और
अपने साथी की उम्मीद छोड़े
बिना लगातार 1 साल से उसे
खिलाती रही।आप अपने गिरेबां में
झांकिए
क्या आप
अपने जीवनसाथी के लिए
ऐसी कोशिश कर सकते हैं?
सोचिए क्या तुम अपनी मां के
लिए ऐसा कर सकते हो जो तुम्हें
नौ माह तक परेशानी पर
परेशानी उठाते
हुए अपनी कोख
में लिए-लिए फिरती है?
और कम से कम अपने पिता के लिए,
अपने भाई- बहिनों के लिए
या फिर अपने दोस्त के लिए?
गौर और फिक्र कीजिए अगर एक
छोटा सा जीव ऐसा कर
सकता है तो वह जीव
क्यों नहीं जिसको ईश्वर ने सबसे
ज्यादा अक्लमंद बनाया है?
की मरम्मत केलिए
उसकी दीवार
को खोल रहा था। ज्यादातर
जापानी घरों में
लकड़ी की दीवारो के
बीच जगह होती है। जब वह
लकड़ी की इस
दीवार को उधेड़ रहा तो उसने
देखा कि वहां दीवार में एक
छिपकली फंसी हुई थी।
छिपकली के एक पैरमें कील
ठुकी हुईथी। उसने यह देखा और उसे
छिपकली पर रहम आया। उसने
इस मामले में उत्सुकता दिखाई
और गौर से उस छिपकली के पैर में
ठुकी कील को देखा। अरे यह
क्या! यह तो वही कील है जो 1
साल पहले मकान बनाते वक्त ठोकी गई
थी। यह क्या !!!!
क्या यह छिपकली पिछले 1
साल से इसी हालत से दो चार
है? दीवार के अंधेरे हिस्से में
बिना हिले-डुले पिछले 1
साल से!! यह नामुमकिन है। मेरा दिमाग
इसको गवारा नहीं कर रहा। उसे
हैरत हुई।यह छिपकली पिछले 1
साल से आखिर जिंदा कैसे है!!!
बिना एक कदम हिले-डुले
जबकि इसके पैर में कील ठुकी है!
उसने अपना काम रोक दिया और
उस छिपकली को गौर से देखने
लगा। आखिर यह अब तक कैसे रह
पाई और क्या और किस तरह
की खुराक इसे अब तक मिल पाई।
इस बीच एक
दूसरी छिपकली ना जाने
कहां से वहां आई जिसके मुंह में
खुराक थी।
अरे!!!!! यह देखकर वह अंदर तक हिल
गया। यह दूसरी छिपकली पिछले
1 साल से इस फंसी हुई
छिपकली को खिलाती रही।
जरा गौर कीजिए वह
दूसरी छिपकली बिना थके और
अपने साथी की उम्मीद छोड़े
बिना लगातार 1 साल से उसे
खिलाती रही।आप अपने गिरेबां में
झांकिए
क्या आप
अपने जीवनसाथी के लिए
ऐसी कोशिश कर सकते हैं?
सोचिए क्या तुम अपनी मां के
लिए ऐसा कर सकते हो जो तुम्हें
नौ माह तक परेशानी पर
परेशानी उठाते
हुए अपनी कोख
में लिए-लिए फिरती है?
और कम से कम अपने पिता के लिए,
अपने भाई- बहिनों के लिए
या फिर अपने दोस्त के लिए?
गौर और फिक्र कीजिए अगर एक
छोटा सा जीव ऐसा कर
सकता है तो वह जीव
क्यों नहीं जिसको ईश्वर ने सबसे
ज्यादा अक्लमंद बनाया है?
Monday, June 16, 2014
जो व्यक्ति आपको आगे बढ़ने से रोक रहा था कल उसकी मृत्यु हो गयी
एक दिन एम्प्लाइज जब
ऑफिस पहुंचे तो उन्हें गेट पर
एक बड़ा सा नोटिस
लगा दिखा :” इस कंपनी में
जो व्यक्ति आपको आगे बढ़ने
से रोक रहा था कल
उसकी मृत्यु हो गयी . हम
आपको उसे आखिरी बार
देखने का मौका दे रहे हैं ,
कृपया बारी-बारी से
मीटिंग हॉल में जाएं और उसे
देखने का कष्ट करें .”
जो भी नोटिस पढता उसे
पहले तो दुःख होता लेकिन
फिर
जिज्ञासा हो जाती की आखिर
वो कौन था जिसने
उसकी ग्रोथ रोक
रखी थी … और वो हॉल
की तरफ चल देता …देखते देखते
हॉल के बाहर काफी भीड़
इकठ्ठा हो गयी , गार्ड्स ने
सभी को रोक रखा था और
उन्हें एक -एक कर के अन्दर जाने
दे रहा था.
सबने देखा की अन्दर जाने
वाला व्यक्ति काफी गंभीर
हो कर बाहर निकलता ,
मानो उसके
किसी करीबी की मृत्यु हुई
हो !… इस बार अन्दर जाने
की बारी एक पुराने
एम्प्लोयी की थी …उसे सब
जानते
थे ,सबको पता था कि उसे
हर एक चीज से शिकायत
रहती है …. कंपनी से ,
सहकर्मियों से , वेतन से हर एक
चीज से !
पर आज वो थोडा खुश लग
रहा था …उसे
लगा कि चलो जिसकी वजह
से उसकी लाइफ में
इतनी प्रोब्लम्स थीं वो गुजर
गया …अपनी बारी आते
ही वो तेजी से ताबूत के
पास पहुंचा और
बड़ी जिज्ञासा से उचक कर
अन्दर झाँकने लगा …पर ये
क्या अन्दर तो एक
बड़ा सा आइना रखा हुआ
था.
यह देख वह क्रोधित
हो उठा और जोर से
चिल्लाने के हुआ कि तभी उसे
आईने के बगल में एक सन्देश
लिखा दिखा -
“इस दुनिया में केवल एक
ही व्यक्ति है
जो आपकी ग्रोथ रोक
सकता है और वो आप खुद हैं .
इस पूरे संसार में आप वो अकेले
व्यक्ति हैं
जो आपकी ज़िन्दगी में
क्रांति ला सकता है .
आपकी ज़िन्दगी तब
नहीं बदलती जब आपका बॉस
बदलता है , जब आपके दोस्त
बदलते हैं , जब आपके पार्टनर
बदलते हैं , या जब
आपकी कंपनी बदलती है ….
ज़िन्दगी तब बदलती है जब
आप बदलते हैं , जब आप
अपनी लिमिटिंग बिलीफ्स
तोड़ते हैं , जब आप इस बात
को रीयलाईज करते हैं
कि अपनी ज़िंदगी के लिए
सिर्फ और सिर्फ आप
जिम्मेदार हैं . सबसे
अच्छा रिश्ता जो आप
बना सकते हैं वो खुद से
बनाया रिश्ता है . खुद
को देखिये , समझिये …
कठिनाइयों से घबराइए
नहीं उन्हें पीछे छोडिये …
विजेता बनिए , खुद
का विकस करिए और
अपनी उस
वास्तविकता का निर्माण
करिए जिसका करना चाहते
हैं !
दुनिया एक आईने की तरह है :
वो इंसान को उसके शशक्त
विचारों का प्रतिबिम्ब
प्रदान करती है . ताबूत में
पड़ा आइना दरअसल आपको ये
बताता है की जहाँ आप अपने
विचारों की शक्ति से
अपनी दुनिया बदल सकते हैं
वहां आप जीवित होकर
भी एक मृत के समान जी रहे
हैं।
इसी वक़्त दफना दीजिये उस
पुराने ‘मैं’ को और एक नए ‘मैं’
का सृजन कीजिये !!!”
कहाँ जा रही है आज की पीढ़ी
दस वर्षीय पप्पू
और
उसके पड़ोस में रहने
वाली नौ-
वर्षीय
चिंकी को साथ-साथ खेलते हुए
यह एहसास हो जाता है
कि
वे एक-दूसरे से
बेहद प्यार करते हैं,
और
उन्हें शादी कर लेनी चाहिए।
और
उसके पड़ोस में रहने
वाली नौ-
वर्षीय
चिंकी को साथ-साथ खेलते हुए
यह एहसास हो जाता है
कि
वे एक-दूसरे से
बेहद प्यार करते हैं,
और
उन्हें शादी कर लेनी चाहिए।
पप्पू
चिंकी के पिता के पास
पहुंच जाता है,
और हिम्मत जुटाकर
कह डालता है,
चिंकी के पिता के पास
पहुंच जाता है,
और हिम्मत जुटाकर
कह डालता है,
"अंकल,
मैं और आपकी बेटी चिंकी
एक-दूसरे से प्यार करते हैं,
और मैं आपसे शादी के लिए
उसका हाथ मांगने आया हूं।
मैं और आपकी बेटी चिंकी
एक-दूसरे से प्यार करते हैं,
और मैं आपसे शादी के लिए
उसका हाथ मांगने आया हूं।
चिंकी के
पिता को नन्हे शरारती पप्पू की हरकत
बेहद प्यारी लगती है,
और वह डांटने के बजाए
मुस्कुराते हुए उससे
से पूछते हैं,
पिता को नन्हे शरारती पप्पू की हरकत
बेहद प्यारी लगती है,
और वह डांटने के बजाए
मुस्कुराते हुए उससे
से पूछते हैं,
"यार, तुम अभी सिर्फ 10 साल के हो,
और
तुम्हारे पास घर भी नहीं है...
तुम और चिंकी रहोगे कहां?"
पप्पू तपाक से कहता है,
और
तुम्हारे पास घर भी नहीं है...
तुम और चिंकी रहोगे कहां?"
पप्पू तपाक से कहता है,
"चिंकी के कमरे में,
क्योंकि वह मेरे कमरे से बड़ा है,
और
वहां हम दोनों के लिए ज़्यादा जगह है...
क्योंकि वह मेरे कमरे से बड़ा है,
और
वहां हम दोनों के लिए ज़्यादा जगह है...
चिंकी के पिता को अब भी
इस मासूमियत पर
प्यार आता है,
और वह फिर पूछते हैं,
इस मासूमियत पर
प्यार आता है,
और वह फिर पूछते हैं,
"ठीक है,
लेकिन तुम लोग गुज़ारा कैसे चलाओगे,
आखिर इस उम्र में
तुम्हें नौकरी तो मिल नहीं सकती?"
पप्पू फिर
बहुत शांत स्वर में जवाब देता है,
बहुत शांत स्वर में जवाब देता है,
"हमारा जेब खर्च है ना।
उसे 50 रुपये प्रति सप्ताह मिलता है,
और मुझे 100 रुपये प्रति सप्ताह,
इस हिसाब से हम दोनों के लगभग
600 रुपये हर महीने मिल जाता है,
जो हमारी ज़रूरतों के लिए
काफी रहेगा।
उसे 50 रुपये प्रति सप्ताह मिलता है,
और मुझे 100 रुपये प्रति सप्ताह,
इस हिसाब से हम दोनों के लगभग
600 रुपये हर महीने मिल जाता है,
जो हमारी ज़रूरतों के लिए
काफी रहेगा।
चिंकी के पिता
इस बात से भौंचक्के रह जाते हैं,
कि पप्पू ने इस विषय पर
इतनी गंभीरता से,
और इतनी आगे तक
सोच रखा है
सो,
वह सोचने लगते हैं
कि ऐसा क्या कहें
कि
पप्पू को जवाब न सूझे,
और उसे
इस उम्र में चिंकी से
शादी न करने के लिए
समझाया जा सके
वह सोचने लगते हैं
कि ऐसा क्या कहें
कि
पप्पू को जवाब न सूझे,
और उसे
इस उम्र में चिंकी से
शादी न करने के लिए
समझाया जा सके
कुछ देर बाद वह
फिर मुस्कुराते हुए पप्पू से सवाल करते हैं,
फिर मुस्कुराते हुए पप्पू से सवाल करते हैं,
"यह बहुत अच्छी बात है, बेटे,
कि तुमने इतनी अच्छी तरह
सब प्लान किया हुआ है,
लेकिन यह बताओ,
कि तुमने इतनी अच्छी तरह
सब प्लान किया हुआ है,
लेकिन यह बताओ,
कि
अगर
तुम दोनों के बच्चे हो गए,
तो क्या
यह जेबखर्च कम
नहीं पड़ेगा?"
पप्पू ने
इस बार भी तपाक से जवाब दिया,
"अंकल, हम बेवकूफ नहीं हैं...
जब आज तक नहीं होने दिए,
जब आज तक नहीं होने दिए,
तो
आगे भी रोक ही लेंगे।
आगे भी रोक ही लेंगे।
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