Saturday, January 15, 2011
या उसको गुनह-गार लिखूं..
प्यार लिखूं, श्रृंगार लिखूं, या बहते अश्रुधार लिखूं, रोते-रोते जीत लिखूं या हँसते-हँसते हार लिखूं. ये कह दूं कि उसने मुझसे वादे करके तोड़ दिए या फिर मैं ही उसके दिल पर अपना हर इक वार लिखूं.. जाने मैंने मारा उसको या फिर खुद ही क़त्ल हुआ.. उसको अपना कातिल लिखूं या खुद को गद्दार लिखूं सपनो का वो शीशमहल, मैंने ही रचा और आग भी दी. अब जलते उसके सपने लिखूं या वो आँखें लाचार लिखूं.. खुद ही हर अपराध किया, और खुद ही न्यायाधीश बना.. न्याय-धर्म निभाऊं अब मैं, या उसको गुनह-गार लिखूं.. -
बहस जारी है
एक तरफ उसे सदियों से भारत में हिममानव, नेपाल में यति, अमेरिका में बिगफुट, ब्राजील में मपिंगुरे, आस्ट्रेलिया में योवेई, इंडोनेशिया में साजारंग गीगी जैसे नामों से पुकारा जाता है, और दूसरी तरफ उसके अस्तित्व पर ही प्रश्न चिह्न लगाया जाता है। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं कि बर्फीले पहाड़ों पर देखे और पहचाने गए विशालकाय वानर शरीर वाले हिममानव की। इनके अस्तित्व को लेकर बहस जारी है ?????????????????????????????? ??????????
Sunday, January 9, 2011
SOCH VICHAR: आधार...........आपके बेहतर इंसान बनने का
SOCH VICHAR: आधार...........आपके बेहतर इंसान बनने का: "कोई हमारी सुन रहा है,तो क्यों सुन रहा है,इस पर विचार कीजिये। प्रेम,आवश्यकताया बेचारगी, इनमें सेकोई भीएक कारण हो सकता है। अबअपने द्वाराप्रताड..."
आधार...........आपके बेहतर इंसान बनने का
कोई हमारी सुन रहा है,
तो क्यों सुन रहा है,
इस पर विचार कीजिये।
प्रेम,
आवश्यकता
या बेचारगी,
इनमें से
कोई भी
एक कारण हो सकता है।
अब
अपने द्वारा
प्रताड़ित किये गये
व्यक्ति का
चेहरा याद कीजिये
और
देखिये
इनमें से
वह कौन सा कारण था
जिसने
उसे सहने पर मजबूर किया।
कारण मिलते ही
एक बार
आप खुद को छोटा महसूस करेंगे
पर फिर वही आधार बनेगा
आपके बेहतर इंसान बनने का।
Kuhda teri rehmat ka saya bahut hai
Kuhda teri rehmat ka saya bahut hai
Jaroori nahi too gale se lagaye
Hai kafi bas itna
ki roein agar hum
too de kar tassalli
zara muskraye
Woh shaitan kyoon ban gaye hain
yaa kah de naheen hain woh
hawwa ke jaye
Yahaan se
khushee bhagtee ja rahi hai
lapakte chale aar rahe gum ke saaye
Chaman ki zara bekasi dekhna tum
ki khud bag-ban
aashiyana lutaaye
Meri maut per
hans raha thaa zamana
Farishton ke aansoo
magar ruk na paaye
Hai kafi
ki malik nigahon main too hai
"GHAYAL"
tujhe neend aaye-na-aaye
(Kabar Main)
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