दुर्योधन कि माँ अंधी नहीं थी
मगर उसे दिखाई नहीं देता था
मनमोहन या...
दूसरे देश के ठेकेदार बहरे नहीं हैं
मगर उन्हें सुनाई नहीं देता है
इन दोनों दृष्टान्तों से सिद्ध होता है कि
कुछ दिखाई या सुनाई न देने के लिए
अँधा या बहरा होना जरूरी नहीं
और सूरदास अँधा हो
कर भी सब देख लेता था
बूढा बाप बहरा होने पर भी
बच्चों के दिल की बात सुन लेता है
इस-से फिर सिद्ध होता है कि जरूरी नहीं कि
अंधे या बहरे देख-सुन न पायें
यह वास्तव में एक अद्भुत खेल है
जिसे हम दिव्य भी कह सकते हैं
दिव्य दृष्टि तथा सुनने की ख्वाहिश अंधे को
जैसे दिखा देती है और बहरे को सुना देती है
उसी तरह सच्चा प्यार देखता भी है सुनता भी है
दिखाता भी है सुनाता भी है
मगर उस-सब के लिए
मन की आँखें और
चित्त के कान होने बहुत जरूरी हैं
मगर उसे दिखाई नहीं देता था
मनमोहन या...
दूसरे देश के ठेकेदार बहरे नहीं हैं
मगर उन्हें सुनाई नहीं देता है
इन दोनों दृष्टान्तों से सिद्ध होता है कि
कुछ दिखाई या सुनाई न देने के लिए
अँधा या बहरा होना जरूरी नहीं
और सूरदास अँधा हो
कर भी सब देख लेता था
बूढा बाप बहरा होने पर भी
बच्चों के दिल की बात सुन लेता है
इस-से फिर सिद्ध होता है कि जरूरी नहीं कि
अंधे या बहरे देख-सुन न पायें
यह वास्तव में एक अद्भुत खेल है
जिसे हम दिव्य भी कह सकते हैं
दिव्य दृष्टि तथा सुनने की ख्वाहिश अंधे को
जैसे दिखा देती है और बहरे को सुना देती है
उसी तरह सच्चा प्यार देखता भी है सुनता भी है
दिखाता भी है सुनाता भी है
मगर उस-सब के लिए
मन की आँखें और
चित्त के कान होने बहुत जरूरी हैं