Saturday, February 5, 2011

CAN YOU IMAGINE: ABOUT .........WHICH GREAT SAINT ......................................IS ALL THIS


1. 
सादा जीवन, उच्च विचार


उसके जीने का ढंग बड़ा सरल था. पुराने और मैले कपड़े, बढ़ी हुई दाढ़ी, महीनों से जंग खाते दांत और पहाड़ों पर खानाबदोश जीवन. जैसे मध्यकालीन भारत का फकीर हो. जीवन में अपने लक्ष्य की ओर इतना समर्पित कि ऐशो-आराम और विलासिता के लिए एक पल की भी फुर्सत नहीं. और
विचारों में उत्कृष्टता के क्या कहने! 'जो डर गया, सो मर गया' जैसे संवादों से उसने जीवन की क्षणभंगुरता पर प्रकाश डाला था.


२. दयालु प्रवृत्ति: 



ठाकुर ने उसे अपने हाथों से पकड़ा था. इसलिए उसने ठाकुर के सिर्फ हाथों को सज़ा दी. अगर वो चाहता तो गर्दन भी काट सकता था. पर उसके ममतापूर्ण और करुणामय ह्रदय ने उसे ऐसा करने से रोक दिया.


3. नृत्य-संगीत का शौकीन: 



'महबूबा ओये महबूबा' गीत के समय उसके कलाकार ह्रदय का परिचय मिलता है. अन्य डाकुओं की तरह उसका ह्रदय शुष्क नहीं था. वह जीवन में नृत्य-संगीत एवंकला के महत्त्व को समझता था. बसन्ती को पकड़ने के बाद उसके मन का नृत्यप्रेमी फिर से जाग उठा था. उसने बसन्ती के अन्दर छुपी नर्तकी को एक पल में पहचान लिया था. गौरतलब यह कि कला के प्रति अपने प्रेम को अभिव्यक्त करने का वह कोई अवसर नहीं छोड़ता था.


4. अनुशासनप्रिय नायक: 



जब कालिया और उसके दोस्त अपने प्रोजेक्ट से नाकाम होकर लौटे तो उसने कतई ढीलाई नहीं बरती. अनुशासन के प्रति अपने अगाध समर्पण को दर्शाते हुए उसने उन्हें तुरंत सज़ा दी.


5. हास्य-रस का प्रेमी: 



उसमें गज़ब का सेन्स ऑफ ह्यूमर था. कालिया और उसके दो दोस्तों को मारने से पहले उसने उन तीनों को खूब हंसाया था. ताकि वो हंसते-हंसते दुनिया को अलविदा कह सकें. वह आधुनिक युग का 'लाफिंग बुद्धा' था.


6. नारी के प्रति सम्मान:



 बसन्ती जैसी सुन्दर नारी का अपहरण करने के बाद उसने उससे एक नृत्य का निवेदन किया. आज-कल का खलनायक होता तो शायद कुछ और करता.


7. भिक्षुक जीवन:



 उसने हिन्दू धर्म और महात्मा बुद्ध द्वारा दिखाए गए भिक्षुक जीवन के रास्ते को अपनाया था. रामपुर और अन्य गाँवों से उसे जो भी सूखा-कच्चा अनाज मिलता था, वो उसी से अपनी गुजर-बसर करता था. सोना, चांदी, बिरयानी या चिकन मलाई टिक्का की उसने कभी इच्छा ज़ाहिर नहीं की.



Tuesday, January 25, 2011

Maa teri Izzat ko chaar chand lagayenege


Khoon de ke lee hai aazadi maa teri
barbaad huee thee bahuen aur maatayen ghaneri
un ke patiyon aur puttron ke gun nitt hum gaayenege
Maa teri Izzat ko chaar chand lagayenege


Anaath unke the puttar aur putteriyan hue
jin-ho-ne teri khaatir maa maut ke
honth the chue
itnee mehegi aazadi ko  hum barbadi na banaayege
Maa teri Izzat ko chaar chand lagayenege


Jo toofaan ye chala hai dhokhe aur fareb ka
beda garak is ne kar diya hai kaum aur desh ka
Is toofan ka beda garak hum hee karayeneg
Maa teri Izzat ko chaar chand lagayenege


Jo yeh badhti mehaangai aur ghat-ti insaan ki kimat hai
bhadhaati bekaari aur ghata-ti sach ki  fitrat hai
jo maa ho sir pe tera haath to hum is ko mitaayenge
Maa teri Izzat ko chaar chand lagayenege


Fir hoga yahan sukh aur hogee sachhaee
bhagenge sabhi dukh aur baajegee shehnaee
Jalad is desh main hum RAM RAJYA laayenge
Maa teri Izzat ko chaar chand lagayenege


Neta jo baithe hai jamaaye kursi pe aassan
ek-ek ka chalta hai barson tak shssan
is ulti reet ko hum khatam karaayenge
Maa teri Izzat ko chaar chand lagayenege


Hoti jyoon hai ghore par kasi huee kathi
chalti hai gareeb per ameer ki yoon laathi
is laathi ke hum tukde karaayenge
Maa teri Izzat ko chaar chand lagayenege


adhik khojen kar kar ke hum
naye aayyam pe aayenge
mushkil hal jo parivaar niyojan se na ho saki
adhik utpaadan va charittar se 
woh guthi suljhayenge
Maa teri Izzat ko chaar chand lagayenege


saara up-vyay rok ke hum paisa desh ka bachaenge
swiss me pada saara paisa waapis yahan laayenge
aur fir yahee paisa desh kee tarakki mein lagayengew
pichde ilaakon ko hum unnat banayenge
Maa teri Izzat ko chaar chand lagayenege


tan, man aur dhan desh kee seva mein lagayege
jo waqat aan pada to jaan bhee lutaayenge
"GHAYAL' is desh ko hum swarag banayenge
Maa teri Izzat ko chaar chand lagayenege

Friday, January 21, 2011

JINDGI NOO JINGI DA WAASTA




ROZ MERE KHWAB WICH AAYA KARO..
ZINGI NOO DARD DE JAAYA KARO

JINDGI NOO JINGI DA WAASTA
BE-GUNAHAN NOO NA TADPAYA KARO

JULAM MERE TE
TE GAIRAN TE KARAM

AAPNE HAN KUJH TARAS KHAAYA KARO

MEAINU KAR KE 'GHAYAL'
JAKHAM JO DITTE TUSAAN
MARHAM JE NAHEEN
LOON NA PAAYA KARO

Saturday, January 15, 2011

या उसको गुनह-गार लिखूं..

प्यार लिखूं, श्रृंगार लिखूं, या बहते अश्रुधार लिखूं, रोते-रोते जीत लिखूं या हँसते-हँसते हार लिखूं. ये कह दूं कि उसने मुझसे वादे करके तोड़ दिए या फिर मैं ही उसके दिल पर अपना हर इक वार लिखूं.. जाने मैंने मारा उसको या फिर खुद ही क़त्ल हुआ.. उसको अपना कातिल लिखूं या खुद को गद्दार लिखूं सपनो का वो शीशमहल, मैंने ही रचा और आग भी दी. अब जलते उसके सपने लिखूं या वो आँखें लाचार लिखूं.. खुद ही हर अपराध किया, और खुद ही न्यायाधीश बना.. न्याय-धर्म निभाऊं अब मैं, या उसको गुनह-गार लिखूं.. -

बहस जारी है

एक तरफ उसे सदियों से भारत में हिममानव, नेपाल में यति, अमेरिका में बिगफुट, ब्राजील में मपिंगुरे, आस्ट्रेलिया में योवेई, इंडोनेशिया में साजारंग गीगी जैसे नामों से पुकारा जाता है, और दूसरी तरफ उसके अस्तित्व पर ही प्रश्न चिह्न लगाया जाता है। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं कि बर्फीले पहाड़ों पर देखे और पहचाने गए विशालकाय वानर शरीर वाले हिममानव की। इनके अस्तित्व को लेकर बहस जारी है ????????????????????????????????????????

Sunday, January 9, 2011

SOCH VICHAR: आधार...........आपके बेहतर इंसान बनने का

SOCH VICHAR: आधार...........आपके बेहतर इंसान बनने का: "कोई हमारी सुन रहा है,तो क्यों सुन रहा है,इस पर विचार कीजिये। प्रेम,आवश्यकताया बेचारगी, इनमें सेकोई भीएक कारण हो सकता है। अबअपने द्वाराप्रताड..."

आधार...........आपके बेहतर इंसान बनने का

कोई हमारी सुन रहा है,

तो क्यों सुन रहा है,

इस पर विचार कीजिये।


प्रेम,

आवश्यकता

या बेचारगी,


इनमें से

कोई भी

एक कारण हो सकता है।


अब

अपने द्वारा

प्रताड़ित किये गये

व्यक्ति का

चेहरा याद कीजिये

और

देखिये

इनमें से

वह कौन सा कारण था

जिसने

उसे सहने पर मजबूर किया।


कारण मिलते ही

एक बार

आप खुद को छोटा महसूस करेंगे

पर फिर वही आधार बनेगा

आपके बेहतर इंसान बनने का।